आँसू जैसा पोंछ रहा है क्या मुझ को?

आँसू जैसा पोंछ रहा है क्या मुझ को?
जाते जाते रोक रहा है क्या मुझ को?

क्या चुभता है पीठ में मेरी, आख़िर क्या?
पीछे से कोई देख रहा है क्या मुझ को?

ग़लती करने वाला हूँ एक भारी मैं
कोई है क्या? टोक रहा है क्या मुझ को?

हिचकी वाला क्लीशे भी अब लिख ही दूँ
कहीं पे कोई सोच रहा है क्या मुझ को?

ख़ून टपकता है आँखों से और दिल से
याद का नाखुन नोच रहा है क्या मुझ को?

जाने कैसी सिहरन है इन नींदों में
ख़्वाब में कोई देख रहा है क्या मुझ को?

अब तो रोहित बेचैनी की आदत डाल
अब यादों में खोज रहा है क्या मुझ को?

रोहित जैन
16/8/2017

Published in: on अगस्त 23, 2017 at 9:11 अपराह्न  टिप्पणी करे  

तुझको भी भूल जाऊँ मैं कोई ऐसी रात हो

तुझको भी भूल जाऊँ मैं कोई ऐसी रात हो
इतना नशा करूँ के फिर न कोई तेरी बात हो

सूरज को जानता हूँ मग़र पूछता हूँ मैं
मुझको बताओ आप मियाँ कौन जात हो

आए हँसी आये बला या आए ज़िन्दगी
अश्क़ों के इलावा भी तो कोई बरात हो

मुझको यूँ ढक रहे हैं कुछ ऐसे सितारे
ग़म के गौहर से भरी जैसे कोई परात हो

पिछड़ रहा हूँ ज़िंदगी में प्यार तुझ से कर के यूँ
बीच शहर ग़म भरा जैसे कोई देहात हो

हद्द ए निगाह तीरगी की एक नुमाइश
हद्द ए निगाह ग़म की लगी जैसे घात हो

एक मुसलसल सिलसिला गुनाह का ये जिंदगी
एक शौक़ एक मौत और एक ज़ात हो

एक रेस एक जंग एक भीड़ एक ख़ौफ़
इस के अलावा भी तो कोई क़ायनात हो

रात की महफ़िल सजी है चाँद का गिलास है
अब तो रोहित ज़िंदगी की बस यही सौगात हो

12/8/2017

Published in: on अगस्त 23, 2017 at 9:10 अपराह्न  टिप्पणी करे  

गलती सारी मेरी ही थी

तेरी तो हर बात सही थी, गलती सारी मेरी ही थी
मैंने दिल की बात कही थी, गलती सारी मेरी ही थी

मेरे दिल में तू ही तू है, तेरे दिल में सारी दुनिया
मेरी ही बस जगह नहीं थी, गलती सारी मेरी ही थी

तो क्या जो तू खरा न उतरा, मुझे लगा था तू उतरेगा
वो उम्मीद तो मुझे रही थी, गलती सारी मेरी ही थी

मुझे जलन थी के तू ख़ुश है जब कि मैं बेज़ार पड़ा हूँ
जलन ये मेरी सही नहीं थी, गलती सारी मेरी ही थी

अपना कोई कितना भी हो, वो अपना ख़ुद का भी तो है
मुझको इतनी ख़बर नहीं थी, गलती सारी मेरी ही थी

हिसाब मैंने रखा नहीं था, पर जब गलती से कर बैठा
गलत था खाता गलत बही थी, गलती सारी मेरी ही थी

कब रोहित तू दिल की बातें दिल में ही रखना सीखेगा
उसको बिल्कुल समझ नहीं थी, गलती सारी मेरी ही थी

13/8/2017

Published in: on अगस्त 23, 2017 at 9:09 अपराह्न  टिप्पणी करे  

जिस पल …

जिस पल तुझसे कुछ चाहा था उस पल ख़ुद को मार दिया
बिन गरज़ का इक रिश्ता था मतलब लाकर हार दिया

समझ कहाँ है उनको जिनको मिलता बिन मांगे ही प्यार
दिल जब जब भी दिया किसी को मैंने तो बेकार दिया

रूह तो मेरी मर ही चुकी है, जिस्म बचा है ये बेज़ार
हसरत चाहत ख़्वाब तमन्ना सब कुछ मैंने वार दिया

कभी कभी ये लगता है क्या रोने वाले रोएंगे
अश्क़ों के सैलाब बहा कर मैंने उसको प्यार दिया

जब तक उस को पता नहीं था तब एक तसल्ली थी
दिल की बातें बोलीं मैंने, सब कुछ मैंने हार दिया

रोहित अब तो समझ जा प्यारे ये तुझको तक़दीर नहीं
जिन ख़ुशियों को ढूंढ रहा तू उन ने तुझको मार दिया

2/8/2017
9/8/2017

Published in: on अगस्त 23, 2017 at 9:08 अपराह्न  टिप्पणी करे  

उम्मीदें

कितना रोको, फिर से वापस, आ जाती हैं, उम्मीदें
एक अंधेरा, बन कर फिर से, छा जाती हैं, उम्मीदें

दिल टूटा है, उम्मीदों से, जब टूटीं हैं, उम्मीदें
लेकिन कितनी, ढीठ हैं ये फिर, आ जाती हैं, उम्मीदें

जब जब इनको, रक्खा हमने, तब तब धोखा, खाया है
लेकिन फिर भी, कितना चाहो, ना जाती हैं, उम्मीदें

दिल दरवाज़ा, बन्द किया है, सारी राहें, रोकीं हैं
फिर भी देखो, अपना रस्ता, पा जाती हैं, उम्मीदें

जितना भी जो, पास है दिल के, उनसे उतनी, कम रखना
उनसे टूटीं, जो उम्मीदें, खा जाती हैं, उम्मीदें

रोहित साहब, कब सुधरोगे, कितना हाथ, जलाओगे
मौत बनेंगी, इक दिन ऐसा, खा जाती हैं, उम्मीदें

19/7/2017

Published in: on अगस्त 23, 2017 at 9:03 अपराह्न  टिप्पणी करे  

दिल आशकारे जज़्बे मोहब्बत नहीं होता

दिल आशकारे जज़्बे मोहब्बत नहीं होता
पहले सा इस को दावा ए उल्फ़त नहीं होता

अब भी मैं लख़्त लख़्त जिगर कर तो रहा हूँ
कुर्बानियों में शौके शहादत नहीं होता

मौजे नसीमे सुब्ह में वो बात अब नहीं
न दिल न चमन कोई भी जन्नत नहीं होता

वो शायरी वो शेर वो नज़्में नहीं रहीं
वो फ़साहतें वो ज़ेबे बलाग़त नहीं होता

तू रू ब रू तो है मगर दिखता है तेरे पार
चर्ख़े तख़य्युलाते इनायत नहीं होता

दिल दुख रहा है पर मुझे तकलीफ़ ही नहीं
आता है मज़ा, शिकवा ए आफ़त नहीं होता

उस का भी इश्क़ अब नहीं चढ़ता कोई परवान
तेरा भी अब वो हुस्ने क़यामत नहीं होता

ग़ैरों की तरह अब तो है रोहित का हाल भी
उसको भी अब वो सोज़े नदामत नहीं होता

रोहित जैन
31 7 2017

आशकार – manifest
लख़्त – bit, piece
मौज ए नसीम ए सुब्ह – blowing breeze of the morning
फ़साहत – flow of speech
ज़ेब – elegance, beauty
बलाग़त – eloquence, rhetoric
चर्ख़ ए तख़य्युलात – churning of imagination
सोज़ ए नदामत – heat of regret

Published in: on अगस्त 23, 2017 at 9:02 अपराह्न  टिप्पणी करे  

मत ही दे

नमक छिड़क के नमक की दुहाई तो मत ही दे
झूठ बोल या सच मान, सफाई तो मत ही दे

या डूबा दे या बचा ले हमारे रिश्ते को
ये बीच धार की तू सर खपाई तो मत ही दे

है दम अगर तो तू ही फूँक दे ना दिल मेरा
ग़ैर के हाथों में दियासलाई तो मत ही दे

मुझे पता है तुझे प्यार है मगर ख़ुद से
ये खोखली मुझे तू आशनाई तो मत ही दे

समन्दरों की तरह प्यार ओ ग़म दोनों गहरे
एक दे, दोनों की गहराई तो मत ही दे

जो रोहित प्यार को इख़लास को ख़ुदा माने
उसे तू उस ख़ुदा की पारसाई तो मत ही दे

रोहित जैन
7/8/2017

Published in: on अगस्त 23, 2017 at 9:01 अपराह्न  टिप्पणी करे  

आज मुझे

यहीं बीनाई की एक हद मिली है आज मुझे
नए अंधेरे की आमद मिली है आज मुझे

मैं अपने प्यार में जाने कहाँ कहाँ निकला
तुम्हारे प्यार की सरहद मिली है आज मुझे

ये हिना है या ख़ून सज रहा है हाथों पर
तुम्हारे हुस्न की क्या ज़द मिली है आज मुझे

मैं एक आस लिए कब तलक भटकता फिरा
आस ए आख़िर की भी लहद मिली है आज मुझे

न जाने कौन मसर्रत का नाम लेता है
ख़ुशी भी अब तो यहाँ बद मिली है आज मुझे

बुरा बना दिया दुनिया में मिल के दुनिया से
ये प्यार करने की सनद मिली है आज मुझे

मेरे ही टूटे हुए दिल ने मुझ को थाम लिया
अदद ये एक ही मदद मिली है आज मुझे

यही जीने का सहारा बनेगी रोहित का
तुम्हारी याद की रसद मिली है आज मुझे

रोहित जैन
4/8/2017

बीनाई – vision, eyesight
लहद – hollow cavity in the grave in which dead body is kept
मसर्रत – happiness
बद – wicked, evil
सनद – certificate, testimonial
अदद – number, count
रसद – ration, grant

Published in: on अगस्त 23, 2017 at 9:01 अपराह्न  टिप्पणी करे  

मीरा बनकर रहना है

मीरा बनकर रहना है
ऐसे जीना सहना है

कितना कुछ है कहने को
छोड़ो भी क्या कहना है

जीवन दरिया दुक्खों का
इस दरिया में बहना है

प्यार हमेशा करना है
लेकिन दूर ही रहना है

दर्द से दामन भरना है
खुशियाँ देते रहना है

उम्मीदें जब रक्खी हैं
तो तकलीफ़ भी सहना है

रोहित साहब बस कर दो
आगे और न कहना है

20/7/2017

Published in: on अगस्त 23, 2017 at 9:00 अपराह्न  टिप्पणी करे  

दूर भी रहना है तुझ से और पास भी रहना है

दूर भी रहना है तुझ से और पास भी रहना है
रिश्ता अजनबियों सा रखकर ख़ास भी रहना है

जितना तुझको गले लगाऊं दूरी आती है
होना है तेरा भी, ख़ुद-शनास भी रहना है

अपनापन जितना भी है, एक दूरी रखनी है
हक़ रखना है, ताबे इल्तिमास भी रहना है

तुझ को देख के ख़ुश हूँ? लगता तो है मैं हूँ
कैसी मुश्किल है के मुझे उदास भी रहना है

तुझसे मैं डरता भी नहीं और मैं डरता हूँ
तकल्लुफ़ भी नहीं करना, हिरास भी रहना है

तुझसे कुछ उम्मीद नहीं करता मैं फिर भी क्यूं
अंधा प्यार भी करना है, और यास भी रहना है

कैसा भी रिश्ता हो साहब सच तो ये ही है
पूरा भी होना है ‘रोहित’ प्यास भी रहना है

रोहित जैन
4-5/7/2017

ख़ुद-शनास – self aware
ताबे इल्तिमास – courage to request
हिरास – fear
यास – Hopelessness

Published in: on अगस्त 23, 2017 at 8:59 अपराह्न  टिप्पणी करे