आँसू जैसा पोंछ रहा है क्या मुझ को?
जाते जाते रोक रहा है क्या मुझ को?
क्या चुभता है पीठ में मेरी, आख़िर क्या?
पीछे से कोई देख रहा है क्या मुझ को?
ग़लती करने वाला हूँ एक भारी मैं
कोई है क्या? टोक रहा है क्या मुझ को?
हिचकी वाला क्लीशे भी अब लिख ही दूँ
कहीं पे कोई सोच रहा है क्या मुझ को?
ख़ून टपकता है आँखों से और दिल से
याद का नाखुन नोच रहा है क्या मुझ को?
जाने कैसी सिहरन है इन नींदों में
ख़्वाब में कोई देख रहा है क्या मुझ को?
अब तो रोहित बेचैनी की आदत डाल
अब यादों में खोज रहा है क्या मुझ को?
रोहित जैन
16/8/2017