एक पुराने दोस्त की बहुत याद आ रही थी ज़िंदगी ने जिससे जुदा कर दिया है…
तो दिल के ख़यालों को ग़ज़ल में लिख दिया…
आप सब के साथ बाँट रहा हूँ, दुआओं में याद रखियेगा…
तू कभी बिछड़ा नहीं और तू मिला भी नहीं
पर मुझे तुझसे कोई शिकवा नहीं ग़िला भी नहीं
तू भले मुझसे ख़फ़ा है और तू दूर भी है
मगर तुझसे ऐ दोस्त दिल को फ़ासिला भी नहीं
मै कैसे दिखलाऊं तुझको दिल की सच्चाई
एक अरसे से तू मुझसे गले मिला भी नहीं
वो एक वक़्त था जब दिल से दिल मिले थे यहाँ
ये एक वक़्त है बातों का सिलसिला भी नहीं
तू मुझे कुछ समझ, मुझको तो तुझसे प्यार है दोस्त
तुझ सा कोई ढ़ूंढ़ा नहीं मिला भी नहीं
मुझे पता है मुझ में लाख कमी है शायद
ये बेरुख़ी मगर दोस्ती का सिला भी नहीं
कभी कभी मुझे लगता है भूल जाऊं तुझे
मगर ये सच है भूलने का हौंसिला भी नहीं
तू खुश रहे ये दुआ तेरी कसम रोज़ करता हूँ
और अपने ग़म का मुझे अब कोई ग़िला भी नहीं
बस इक उम्मीद है तुझ को गले लगाऊं कभी
के वो एहसास मुझे फ़िर कहीं मिला भी नहीं
रोहित जैन
07-05-2009
वो एक वक़्त था जब दिल से दिल मिले थे यहाँ
ये एक वक़्त है बातों का सिलसिला भी नहीं
बेहतरीन रोहित जी वाह…ज़ज्बात को बहुत खूबसूरती से ग़ज़ल में पिरोया है आपने…मेरी बधाई स्वीकार करें…बहुत दिनों बाद आपको पढने का मौका मिला है…लिखते रहा करें…
नीरज
बहुत ही खुबसूरत रचना है ………………..जो दिल को छू गयी
तू खुश रहे ये दुआ तेरी कसम रोज़ करता हूँ
और अपने ग़म का मुझे अब कोई ग़िला भी नहीं
Rohit bhai, shabdon ke jadugar ho aap.
Duaaen hain meri aapke aur aapke apnon ke liye
एक अरसे से तू मुझसे गले मिला भी नहीं……….!सच कहा आपने गले मिलना तो दूर लोग अब तो बोलने से भी कतराते है…!जाने कैसा जमाना आ गया है….किसी से दिल नहीं मिलता ..और कोई दिल से नहीं मिलता…..
बेहद ख़ूबसूरत रचना जो दिल में उतर गयी 🙂
मै कैसे दिखलाऊं तुझको दिल की सच्चाई
एक अरसे से तू मुझसे गले मिला भी नहीं
waaah !
danyabad Rohit ji apko, apki gajal hamko bahut achhi lagi
वो एक वक़्त था जब दिल से दिल मिले थे यहाँ
ये एक वक़्त है बातों का सिलसिला भी नहीं
बेहतरीन रोहित जी वाह…ज़ज्बात को बहुत खूबसूरती से ग़ज़ल में पिरोया है आपने…मेरी बधाई स्वीकार करें…बहुत दिनों बाद आपको पढने का मौका मिला है…लिखते रहा करें
i am gopalsingh
waah
तू खुश रहे ये दुआ तेरी कसम रोज़ करता हूँ
और अपने ग़म का मुझे अब कोई ग़िला भी नहीं
बस इक उम्मीद है तुझ को गले लगाऊं कभी
के वो एहसास मुझे फ़िर कहीं मिला भी नहीं
बहुत सुंदर!! ऊपर वाला आपके दिल को सुकून दे।
कौन कहता है कि मौत आएगी तो मर जाएँगे
कोई जाकर कहे उनसे कि हम कभी जिए ही नहीं – रोहित जैन (कुछ गलत लिख दिया हो तो माफी चाहता हूँ, ऐसा कुछ शेर आपका याद है मुझे)।
यार तु बेस्ट है
Good point, though sometimes it’s hard to arrive to definite conclusions
chooo gi dost ye dosti ki gajal dil ko…………vaki me shandar…………gajab
कभी कभी मुझे लगता है भूल जाऊं तुझे
मगर ये सच है भूलने का हौंसिला भी नहीं
no words to say
ins awesum yaar
तू खुश रहे ये दुआ तेरी कसम रोज़ करता हूँ
और अपने ग़म का मुझे अब कोई ग़िला भी नहीं
Waahhhh
jst awsum:)
कभी कभी मुझे लगता है भूल जाऊं तुझे
मगर ये सच है भूलने का हौंसिला भी नहीं….
Just too good!!!