तो बहुत रोया

जब तक चुप था चुप था, रोया तो बहुत रोया
ये दिल जो कभी पत्थर था, टूटा तो बहुत रोया

ऐसी तो नहीं किस्मत कोई हाल अपना पूछे
जब हाल खुद से खुद का, पूछा तो बहुत रोया

जिस शख़्स ने पलटकर जाते हुए न देखा
कल शाम उसने मुझको, देखा तो बहुत रोया

वो शख़्स ज़िंदगीभर जो प्यार बांटता था
जब जब किसी ने दिल को, तोड़ा तो बहुत रोया

वो था बड़ा ही अहमक़ माने था सबको अपना
कोई नहीं मिला जब, अपना तो बहुत रोया

आँखों पे मोहब्बत ने क्या रंग था चढ़ाया
उतरा जो आँख पर से, चश्मा तो बहुत रोया

खुश होके ज़माने को घज़लें सुना रहा था
जब खुद पे लिखने बैठा, नग़मा तो बहुत रोया

क्या मौज सी उठी थी, जिस में हुआ वो तर था
उतरा जो मोहब्बत का, दरिया तो बहुत रोया

जिस पेड़ को उसी ने सींचा था ख़ूं पिलाकर
साये में उसके जाके, बैठा तो बहुत रोया

यूं तो शिकस्त कितनीं खाईं थीं बेचारे ने
हाथों से अपने खुद ही, हारा तो बहुत रोया

ये ज़िंदगी की साज़िश उसको समझ न आई
‘रोहित’ था भोलाभाला, समझा तो बहुत रोया….

रोहित जैन
02-12-2014

The URI to TrackBack this entry is: https://rohitler.wordpress.com/2015/08/03/%e0%a4%a4%e0%a5%8b-%e0%a4%ac%e0%a4%b9%e0%a5%81%e0%a4%a4-%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%af%e0%a4%be/trackback/

RSS feed for comments on this post.

टिप्पणी करे