बात बेबात याद करते हैं
भूलकर ज़ात याद करते हैं
अश्क़ आँखों के रुक नहीं पाते
लेके बरसात याद करते हैं
तेरे मिलने की दुआ है हरपल
जोड़कर हाथ याद करते हैं
दुश्मनी नींद से हुई अपनी
तुझको हर रात याद करते हैं
मेरे काँधे पे जब तेरा सर था
वो मुलाक़ात याद करते हैं
उसी इख़लासोमोहब्बत की कसम
वही जज़्बात याद करते हैं
हाल ‘रोहित’ का क्या बतायें हम
तुझको दिन-रात याद करते हैं
रोहित जैन
04-03-2009
मेरे काँधे पे जब तेरा सर था
वो मुलाक़ात याद करते हैं
उसी इख़लासोमोहब्बत की कसम
वही जज़्बात याद करते हैं
bahut khoobsurat andaaj hai
वाह भाई वाह मज़ा आ गया।
मेरे काँधे पे जब तेरा सर था
वो मुलाक़ात याद करते हैं
ये पंक्तियाँ तो खास तौर पर पसंद आयी।
अच्छा लिखने के बधाई!
Vaise to saree gazals aapakee ek se badhkar ek hain rohit jee. but
Dost ke liye jo gazal hai..
bahoot hee jazbatee hai. Ishwar aapake mitra kee aatma ko shanti de.
Vishal