चेहरों पे चेहरा

सेहर है या कोई सहरा है लोगों
सभी बातों पे क्यों पहरा है लोगों

जहां कश्ती मेरी आकर रुकी है
समन्दर और भी गहरा है लोगों

हज़ारों आईने हैं इस जगह पर
कहां खोया मेरा चेहरा है लोगों

जो कहता है के सुनता हूं सभी की
असल में वो ही तो बहरा है लोगों

लगामें बस लबों तक ही नहीं हैं
यहां एहसास पर पहरा है लोगों

दिखे कैसे यहां पर कुछ किसी को
निगाहों में भरा कोहरा है लोगों

कहे ‘रोहित’ ये सच है सिर्फ़ सच है
लगा चेहरों पे इक चेहरा है लोगों

रोहित जैन
29-08-2008

The URI to TrackBack this entry is: https://rohitler.wordpress.com/2008/09/16/chehron_pe_chehra/trackback/

RSS feed for comments on this post.

8 टिप्पणियां टिप्पणी करे

  1. लगामें बस लबों तक ही नहीं हैं
    यहां एहसास पर पहरा है लोगों

    –बहुत खूब!!!

  2. जहां कश्ती मेरी आकर रुकी है
    समन्दर और भी गहरा है लोगों
    बहुत ही सुन्दर रोहित जी

  3. ख़ूबसूरत ख़्यालात! ख़ूबसूरत ग़ज़ल!

  4. रोहित जी
    एक खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल कीजिये…मुझे लगता है चेहरा और कोहरा काफिये शायद ठीक नहीं हैं…किसी उस्ताद से पूछना पड़ेगा…
    जो कहता है के सुनता हूँ सभी की
    असल में वो ही तो बहरा है लोगों ….वाह.
    इसी से मिलता जुलता मुझे अपना एक शेर याद आ गया सुनिए:
    ध्यान से सुन कर मेरी रुदादे गम
    उसने हंस कर कह दिया बहरा है वो
    नीरज

  5. आप सभी का मेरी रचना को पसंद करने के लिये शुक्रगुज़ार हूँ.

    नीरज सर मुझे भी शेर लिखते वक़्त लगा था ये सही नहीं है.
    टेक्निकली भी गलत है.
    चेहरा == 112; कोहरा = 212
    पर फिर शेर ठीक बन रहा था तो जोड़ दिया.
    भविष्य में ऐसी गलती न हो इसका ख़्याल रखूँगा.
    आपकी अमूल्य टिप्पणी के लिये तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ.

  6. सेहर है या कोई सहरा है लोगों
    सभी बातों पे क्यों पहरा है लोगों

    -बहुत उम्दा!!

  7. हज़ारों आईने हैं इस जगह पर
    कहां खोया मेरा चेहरा है लोगों

    “wow, beautiful”

    Regards

  8. लगा चेहरों पे इक चेहरा है लोगों
    Beautiful, amazing man!!


Leave a reply to Rohit Jain जवाब रद्द करें