तर्क़ेवफ़ा का दिल पे असर है

तर्क़ेवफ़ा का दिल पे असर है
रात कटी तो सहर का ड़र है

बड़े शौक़ से फूँक चले हो
सोच तो लेते किसी का घर है

जान भी आपके नाम लुटा दी
प्यार की कोई और कसर है

आज ज़माना मुझसे ख़फ़ा है
ये सेहरा भी आपके सर है

इतना तो बतलाते जाओ
क्या दिल मेरा राहगुज़र है

सबको पता है हाल हमारा
एक उसी को नहीं ख़बर है

मुझे पता है चुराई क्यों है
तेरी नज़र पर मेरी नज़र है

हो जो मसीहा तो ये बताओ
दिल में मेरे दर्द किधर है

ग़म में भी मुस्काते जाना
ये भी ‘रोहित’ एक हुनर है

रोहित जैन
28-07-2009

Published in: on जुलाई 30, 2009 at 10:02 पूर्वाह्न  Comments (3)  

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3 टिप्पणियां टिप्पणी करे

  1. Ye to maine padh rakhi hai rohit bhai
    ekdam “jabardast” type likhi hai 🙂

  2. ग़म में भी मुस्काते जाना
    ये भी ‘रोहित’ एक हुनर है्रोहित जी जिसे ये हुनर आ गया उसे और क्या चाहिये?बहुत लाजवाब गज़ल है आशीर्वाद्

  3. bahut hi sundar rachana jisame jajbato ke sailab hai……….atisundar


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